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किंगफिशर  

प्रिय बच्चों,

इस बार मैं एक और खूबसूरत पक्षी किंगफिशर के बारे में आपको बताने जा रहा हूँ

वैसे तो भारत में नौ प्रकार के किंगफिशर पाए जाते हैं पर मैं आपका आस-पास और अकसर दिख जाने वाले किंगफिशर्स के बारे में बताना चाहूँ
गा एक है स्मॉल ब्लू किंगफिशर और दूसरा वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर

स्मॉल ब्लू किंगफिशर -

इसका आकार लगभग गौरेया जितना होता हैयह नीले-हरे रंग का होता है मगर इसका सामने धड वाला भाग हल्का भूरा होता है सीधी मजबूत नुकीली चोंच के साथ किंगफिशर के लिये मछली पकडना आसान होता है इसकी छोटी सी पूंछ होती है इनमें नर और मादा के फीचर्स लगभग समान होते हैं अकसर यह अकेला रहना पसंद करता है इसे आप पानी के स्त्रोतों के पास देख सकते हो, नदियाँ, पोखर, पानी भरे गढे, तालाबों आदि के आस-पास के पेडों क़ी डालों या तारों पर यह बैठा रहता है, हां इसकी स्केनर जैसी आंखों को मछली या अन्य छोटे जलीय जन्तु टैडपोल, कैंकडे दिखी, यह पानी के उपर तीव्रता से पंख फडफ़डाता हुआ रूक-रूक कर उडता है, और चींचीं करता है फिर शिकारी की तरह उन पर झपट कर चोंच में दबा कर इत्मीनान से डाल पर बैठ कर खाता है

पूरे भारत में स्मॉल ब्लू किंगफिशर मिल जाते हैं इनका नीड बनाने का समय मार्च से जून तक होता है यह नदी के आस-पास के एकान्त गर्तों की नर्म जमीन खोद कर एक सुरंगनुमा घोंसला बनाता है जो कि 50 सेमी लम्बा होता है तथा अंत में जाकर यह चौडा होता है, बस यहीं अण्डों को सुरक्षित रखा जाता है यह एक बार में पाँच से सात अण्डे देता है नर और मादा बच्चे पालने के अपने कर्तव्य साथ साथ पूरे करते हैं

वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर -

वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर का आकार मैना और कबूतर के बीच का सा होता है
बेहद प्यारा सा फिरोजी नीले रंग का इसका शरीर होता है और इसका सर, गर्दन और धड क़ा निचला हिस्सा चॉकलेटी भूरा होता है और जैसा कि इसका नाम है इसके सीने का कॉलर वाला हिस्सा सफेद होता है इसकी चोंच लाल रंग की, मजबूत, लम्बी और नुकीली होती हैजब यह उडता है तो अन्दर के सफेद पर स्पष्ट दिखाई देते हैं

यह भी ज्यादातर अकेले रहना, शिकार करना पसंद करता है इसे आप बाग-बगीचों, पेडों की बहुतायत वाले स्थानों में, पानी के आर्सपास या बिना पानी वाले स्थानों में भी देख सकते हो यह भारत के सभी समतल मैदानों वाले इलाकों तथा कम ऊँचाई वाले पहाडी क्षेत्रों में पाया जाता है यह किंगफिशर अकसर दिख जाता है और यह बहुत अधिक पानी पर निर्भर नहीं रहता नदी, तालाबों, ढों के अतिरिक्त हल्के जंगलों में भी दिख जाता है, टेलीग्राफ के तारों पर इसे आप आसानी से बैठा हुआ देख सकते हो जब भी इसे रैंगता हुआ या पानी में तैरता शिकार दिखता है यह उसके उपर इधर-उधर उडता है और सही अवसर पर झपट कर ले आता है इसके भोजन में जलीय जन्तुओं मछली, टैडपोल के अलावा ग्रासहॉपर, छोटी छिपकलियाँ, गिरगिट और अन्य कीडे शामिल हैं

इसकी आवाज दुहराती हुई चर्ट्चट् चिर्र के एक अनवरत स्वर के रूप में होती है जोकि यह उडते समय करता है

इसका नीडन समय भी मार्च से जुलाई के मध्य होता है तथा घोंसला भी आमतौर पर अन्य किंगफिशर्स जैसा, नदी या तालाब के नर्म किनारों पर ज़मीन के गर्त में सुरंगनुमा ही होता है यह भी एक बार में 5-7 अण्डे देता है दोनों नर व मादा मिल कर अण्डे से बच्चे निकलने तथा उसके बडे होने और आत्मनिर्भर होने तक अपने सारे कर्तव्य मिलजुल कर निभाते हैं

तो यह है किंगफिशर की दुनिया लिखना कैसा लगा ये खूबसूरत पक्षी!

तुम्हारा मनोज अंकल
स्टेट कॉर्डिनेटर ऑफ इन्डियन बर्ड नेटवर्क
मार्च 15, 2001


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