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चुनौतियों से घिरा पाकिस्तान क्या दिशाहीन है?
नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के सदमे से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। आगामी 18 फरवरी को होने जा रहे चुनावों के बाधारहित और न्यायसंगत तरीके से होने की संभावना तो कम है ही, साथ ही आंतरिक मोर्चे पर पाकिस्तान असुरक्षा, न्यायिक -संवैधानिक उथल पुथल और सामाजिक-धार्मिक चुनौतियों से भी जूझ रहा है।
देश के दो मुख्य दल-पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-नवाज) कुछ हफ्तों बाद होने जा रहे बहुप्रतीक्षित चुनावों की तैयारियों में व्यस्त हैं। लेकिन, पाकिस्तान की तमाम परिस्थितियां इस ओर संकेत कर रही हैं कि 18 फरवरी को होने वाले चुनाव का ठीक ठाक तरीके से निपट पानी मुश्किल है।
बेनजीर की हत्या की जांच के लिए विदेशी खुफिया एजेंसी की मदद लेना परवेज मुशर्रफ की काम चलाऊ सरकार की साख पूरी तरह समाप्त होने की कहानी ही बयान करता है। हाल ही में जारी हुई पाकिस्तान की सुरक्षा संबंधी रिपोर्ट पाकिस्तान में सिर उठा चुके अन्य मुश्किलों पर प्रकाश डालती है।
'पाकिस्तान इंस्टीटयूट फॉर पीस स्टडीज' (पीआईपीएस) की सुरक्षा संबंधी रिपोर्ट 2007 के अनुसार, वर्ष 2007 में 15,00 हमले और संघर्ष की घटनाएं हुईं। इनमें कुल 3,448 लोग मारे गए और 5,353 लोग घायल हुए। इनमें 232 सैनिक, 163 अर्ध्दसैनिक बलों के सैनिक और 71 पुलिसकर्मी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष 60 आत्मघाती हमले हुए जिनमें 770 लोग मारे गए और 1,574 लोग घायल हुए। सी. उदय भास्कर
इंडो- एशियन न्यूज सर्विस |
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