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अमेरिका में 100 विश्वविद्यालयों
में हो रही हिंदी की पढ़ाई

 

नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)। भारत में ऐसी मान्यताएं घर कर रही हैं कि हिन्दी दीन हीनों की भाषा बनती जा रही है। लोगों का हिन्दी के प्रति अनुराग लगातार कम होता जा रहा है, लेकिन सात समुंदर पार स्थितियां थोड़ी भिन्न हैं। विश्व के सबसे ताकतवर मुल्क में हिन्दी धीमी रफ्तार से ही सही, पर अपना स्थान बना रही है। यह मानना है अमेरिका में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगे प्रो. हरमन वॉन ऑलफन का।

 

आईएएनएस से विशेष बातचीत में प्रो. ऑलफन ने कहा, ''वर्ष 1960 के आसपास ही अमेरिका में हिन्दी की पढ़ाई शुरू हुई थी और मेरा संबंध हिन्दी जगत से पिछले करीब 45 वर्षों से है।''

 

उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय अमेरिका आए तो हिन्दी के प्रचार-प्रसार में गति आई, क्योंकि प्रवासी बच्चे हिन्दी पढाए जाने को लेकर स्थानीय सरकार पर दबाव बना रहे थे। यह सही है कि अब तक अमेरिका के हाई स्कूलों में हिन्दी का प्रवेश अधिक नहीं हुआ, लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

 

ऑलफन ने जानकारी दी कि न्यूयार्क के करीब न्यूजर्सी में हिन्दी प्राध्यापिका की नियुक्ति शुरू हुई है। ऐसी संभावना है कि सितंबर महीने से यहां के स्कूलों में नियमित तौर पर हिन्दी की पढ़ाई शुरू हो जाएगी।

 

वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि अमेरिकी शहरों में देवनागरी लिपि में लिखे हुए वाक्य या शब्द नहीं दिखाई पड़ते हैं। यहां तक कि भारतीय रेस्तरां, होटलों के नाम भी दूसरी लिपियों में लिखे हुए दिखलाई पड़ते हैं, जबकि अरबी, चीनी, फारसी लिपी पर आपकी नजर सहजता से पड़ जाएगी।

 

इसके बावजूद प्रो. ऑलफन निराश नहीं हैं। उनका मानना है कि अमेरिका में हिन्दी भाषा तरक्की पर है। वह अपनी स्थिति मजबूत कर रही है और इसके सुखद परिणाम भी धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष पहले तक अमेरिका में केवल 25 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती थी, लेकिन अब 100 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। मनोरंजन की दुनिया में 'सलाम नमस्ते' नामक हिन्दी रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है।

 

हिन्दुस्तान में हिन्दू-उर्दू के बीच उत्पन्न होने वाली प्रतिस्पर्धा के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमेरिका में हिन्दी और उर्दू के बीच बड़ी पतली खाई है। भारत में हिन्दी की स्थिति पर कुछ कहना मेरे लिए संभव नहीं है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि भारत और हिन्दी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

गौरतलब है कि आज कल प्रो. ऑलफन अक्षरम् द्वारा आयोजित छठे अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में भाग लेने दिल्ली आए हुए हैं।

 

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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