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चिडिया और चील
मम्मी ने पिंजरे का किवाड ख़ोल दिया और इंतजार करने लगी कि चिडिया वापस पिंजरे में लौट आए... लेकिन चिडिया लांग जंप भर कर कभी रसोई की अलमारी की छत पर जा बैठती तो कभी खाने की मेज पर। रसोई की खिडक़ी खुली थी मम्मी को डर हुआ कि चिडिया कहीं बाहर न उड ज़ाएवे पिंजरे के पास हथेली में दाना लिये उसे पुकारने लगीं। सहसा उन्हें रीढ में झुरझुरी सी महसूस हुई फरफराते पंखों पर ममी को कितनी ही तसवीरें तिरती-सी दिखने लगीं - झालरोंवाली फ्रॉक में इठलाती नन्ही गुडिया, चटक रंगो वाली बिकनी पहने बीच पर गीली रेत में लोटती चिडिया...हाँ यही तो था उसका नाम। घर पर सब प्यार से उसे चिडिया बुलाते थे। चिडिया की तरह तो दाना चुगती थी वह चिडिया की ही तरह चहचहाती थी..तब पर नहीं निकले थे उसके कि फुर्राकर उड सके...बस डाल से डाल तक फुदका करती थी। हिन्दुस्तान छोडने से पहले इन डालियों की कमी भी नहीं थी लगातार एक गोद से दूसरी गोद... ममी उसे डॉक्टर बनाना चाहती थीं, डैडी वकील। दोनों खुद भी डॉक्टर थे, डैडी कार्डियोलोजिस्ट और मम्मी रेडियोलोजिस्ट। न पैसों की कमी , न प्रोत्साहन की। ढाई साल की उम्र से ही इस अमरीकी शहर के सबसे बढिया प्राइवेट नर्सरी स्कूल में प्लास्टिक के अक्षरों और नम्बरों को हाथ से महसूसती वह जल्दी ही उन्हें पहचान कर सबको अपनी प्रतिभा से प्रभावित करने लग गई थी। ममी जब भी पास होती, बस यही सवाल पूछतीं - ''स्कूल में क्या हुआ...
'' नर्सरी से किंडरगार्टन और फिर र्फस्ट ग्रेड में पहुँच जाती है चिडिया एक दिन। ''
मॉम,
हु डू यू लव मोस्ट
? '' फिर एक दिन डिपार्टमेन्टल स्टोर से बाहर निकलते ही वह पैसे मांगने लगती है, कोई फटेहाल, बेघर, गरीब इन्सान पैसा मांगता है और चिडिया उसे देना चाहती है, ममी ने तब डांट लगा दी थी - '' सब झूठमूठ की गरीबी है इस देश में...ड्रग खाकर पडे रहते हैं ओर फिर आने जाने वालों को तंग करते हैं..रहने दे, कुछ नहीं देना इसको। चिडिया बडी हो रही है। सहसा ममी की कमर में तीखा दर्द उठा और वे बोलते बोलते रुक गयीं। चिडिया ने ममी के चेहरे पर उभरती दर्द की छाप देखीपर वह रुकी नहीं, उसे स्कूल पहुँचना था।'' उस दिन चिडिया एक टेलेफोन नंबर रट रही थी ममी ने हैरान होकर पूछा तो वह पूरी कहानी सुनाने लगी, '' मॉम, लिंडा के मॉम और डैड ने उसको इतना मारा कि वह मर ही गई...उसके मॉम और डैड को पुलिस पकड क़र ले गई...मिस जॉनसन कहती हैं कि ये टेलेफोन नम्बर चाइल्ड एब्यूज हैल्प का है। अगर तुम्हारे मॉम और डैड तुमको मारें तो इस नम्बर पर फोन कर देना...फिर उनको भी पुलिस पकड क़र ले जाएगी। अब तुम मुझ पर गुस्सा करोगी न, तो मैं पुलिस को फोन कर दूंगी...मॉम, लिंडा अब कभी स्कूल नहीं आएगी जब मर जाते हैं तो फिर कभी स्कूल नहीं जाते'' ममी को लगा था उनके हाथ से कुछ बहुत कीमती फिसला जा रहा है...बहुत चाह कर भी जिसे पकडे रखना नामुमकिन हो रहा है। कुछ घर से बाहर भी है जिस पर उसका अपना कोई बस नहीं...क्या ये समाज उनको भी कोई धमकी दे रहा है। खैर पढते-पढते चिडिया शहर के नामी हाईस्कूल में भी पहुँच गईबडी मुश्किल से दाखिला मिलता है इस स्कूल में हजारों परीक्षा देते हैं, लेकिन दाखिला दो तीन सौ को ही मिलता है इस स्कूल में प्रतियोगिता से प्रताडित उन सैकडों छात्रों के बीच चिडिया कुछ फिसलने लगी। छमाही रिर्पोट कार्ड मिला तो ममी सकते की हालत में थी। ''
यह बायोलॉजी में तुझे सी
कैसे मिला? '' ममी उसके टीचर से मिलीं थीं...बायोलोजी
की क्लास सुबह साढे
आठ बजे होती थी
टीचर ने ममी से कहा था - ''
लगता है आपकी बेटी
को पूरी नींद मिलतीमेरी क्लास में कुछ सुस्त और सोयी सोयी सी दिखती है।'' ममी को समझ नहीं आता क्या करे-कहे। बायोलॉजी में दुबारा कम नम्बर आए तो ममी के हाथ पैर ठण्डे पड ग़ए थे।फिर चिडिया से सलाह करके एक झूठ गढक़र टीचर को बताया गया था। टेस्टवाले दिन चिडिया बीमार थी। डर के मारे टेस्ट कर दियाक्या अब दुबारा ले सकती हैं? डैड के प्रोत्साहन पर चिडिया ने स्कूल की स्पीच टीम में भी हिस्सा लिया है वकील के लिये पब्लिक स्पीकिंग बहुत जरूरी होती है न! आज शाम चिडिया को कल सुबह
होने वाले गणित के इम्तहान की तैयारी करनी है।
दोपहर के स्पीच
टूर्नामेन्ट के लिये स्पीच को रट्टा लगाना हैरात को एक बजे तक चिडिया जगी
रही सुबह बायोलोजी के पहले घंटे में वह फिर नींद के झूले ले रही थी। लिखित भाषण की कॉपी चिडिया ने डैड को पकडा दी। डैड ने शीर्षक पढा - टीन एज सुसाईड्स याने किशोर आत्महत्याएं पहला पैराग्राफ इस तरह था कि - ' इस देश में हर साल करीब दस हजार टीन एजर्स आत्महत्या के शिकार होते हैं जिसकी वजह ड्रग, इन्सिक्योरिटी, डिप्रेशन और अकेलेपन के साथ साथ, खासकर आप्रवासियों के बीच इसकी वजह किशोरों पर उनके माँ-बाप द्वारा बढता हुआ दबाव है। आप्रवासी माँ-बाप अपनी ख्वाहिशों अधूरे सपनों को अपनी औलाद द्वारा पूरा करवाने के लिये इन किशोरों को बदहवास घोङों की तरह मार मार कर चलवाए रखना चाहते हैं जिसका परिणाम बहुत भीषण होता है। भौंचक्के भाव से डैड ने बार बार वे पंक्तियां पढीं। उनको विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि जो वे पढ रहे हैं, वह कुछ घण्टे पहले उनकी बेटी एक भाषण में कह चुकी है। सहसा वे जोर से फटकारने लगे। '' यह सब क्या बकवास लिखी है? '' अब की चिडिया शान्त रही। ''
बकवास नहीं,
डैड..यूं भी इस
स्पीच के तथ्य एक जाने माने शोधकर्ता के हैं। स्कूल में यूं सबको स्पीच
पसंद आयी थी।
सहसा डैड एकदम चुप हो गए।
थोडी देर बाद पता
नहीं क्या सोचते- सोचते बोले -
''
क्या तुमको ऐसा लगता है कि
हम तुम पर प्रेशर डाल रहे हैं?
'' मन ही मन ममी डर गयी थीं जैसे कोई उन्हें कोई धमकी दे रहा हो। लेकिन भूमिकाएं अदला बदली हो रही थीं। ममी डैडी कुछ भी चिडिया का नापसंद करते तो वह भडक़ जाती - '' काम डाउन आई विल डू एट माय ओन पसंद।'' बडी तेजी से ममी डैडी उसकी जिन्दगी में फालतू और बेकार की चीज होते जा रहे थे।उसे ममी डैडी की बातें, उनके अनुभव अपने संदर्भ में एकदम इररैलेवेन्ट लगने लगे...उनमें एक और जीवन शैली, एक और संस्कृति की बू थी जिसे चिडिया अपने लिये बहुत पिछडा और हानिप्रद भी समझने लग गयी थी। ममी डैडी के खिलाफ बोलते हुए उसकी आवाज में एक मसीहापन होता, जैसे कि दुनिया भर के माँ बापों के खिलाफ आंदोलन में वह किशोरों का नेतृत्व कर रही हो। उसे विश्वास हो गया था कि उसके अपने और ज्यादातर माँ बाप बातें प्रजातन्त्र की करते हैं पर होते तानाशाह हैं। चिडिया आईवी लीग तो नहीं पर एक अच्छे कॉलेज में दाखिला पा गई थी होड यहाँ भी कम नहीं थी। उधर अब चिडिया के पर भी तो निकलने लगे थेवह उडना चाहती थीघरौंदे से बाहर खुली हवा पर तैरना चाहती थी....एक सहपाठी उसे अपनी ओर खींच रहा था। हवाओं पर साथ साथ तैरने का आमंत्रण। उसने सहपाठी से कहा,
''ममी को लडक़ों से दोस्ती पसंद नहीं।'' ममी नहीं मानी।
चिडिया और ममी
में आए दिन किच किच होती।
चिडिया की
सहनशक्ति खत्म हो रही थी - ''
आई डोन्ट
अण्डरस्टैन्ड आय एम एन एडल्ट नाओ तुम लोग मनमर्जी से क्यों नहीं
रहने देते! '' ममी को जैसे लकवा मार गया हो, '' कैसे कह गई तू ये बात..बस यही नाता है तेरा हमारा बस इसीलिये टिकी है तू यहाँ कि और कोई तेरे कॉलेज की फीस नहीं भरेगा हमारा प्यार हमारी कद्र हमारे साथ रहना अब गुलामी लगती है तुझे! '' अचानक चिडिया डर गई...ये
तो बतंगड बन गया।
ममी को नाराज
क़रके वह जाएगी कहाँ?अभी
तो उसके परों में उडने की पूरी ताकत
कहाँ
है?''
सॉरी मॉम!आई डिड नॉट
मीन टू हर्ट यूआई लव यू! ''
और उस शाम चिडिया के लिये
खास पकवान बनते हैं।उसका
पॉकेट अलाउंस बढा दिया जाता है और ममी उसे नया ड्रेस खरीदवाने
ब्लूमिंगडेल्ज ले जाती हैं।
चिडिया ने जब
सारा किस्सा अपने सहपाठी से कहा तो वह बोला -
''
तुम्हारी ममी बहुत लोनली और
इनसिक्योर हैं तुमको खोने से डरती हैं। इसी से तुम्हें तरह तरह की रिश्वत
देकर अपने पास रखना चाहती हैं।'' |
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