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लघु कथा
लक्ष्मी पूजा

दीपावली का ज्योर्तिमय पर्व था घर घर में ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की तैयारियां हो रही थींमैं भी लक्ष्मी पूजन का थाल सजा रही थी कि दरवाजे पर खटखटाहट हुई

मैं ने पूछा, '' कौन है? ''
आगन्तुक महिला ने उत्तर दिया,'' मैं माधवी
''

मैं ने दरवाजा खोला तो माधवी सजी धजी खडी थीमाधवी मेरी पडोसन है और हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैमध्यम वर्गीय स्कूल के अध्यापकों की इस कॉलोनी में स्वयं भी संस्कृत की अधापिका तथा फिजीक्स के वरिष्ठ अध्यापक की पत्नी माधवी शौर्कश्रृगांर, और सम्पन्नता का दिखावा करने तथा अपने परिवार की प्रशंसा करने में निपुण है

अपनी इसी निपुणता का परिचय देते हुए वह कहने लगी -

'' मेडम, आप साडे आठ बजे हमारे घर आईये, लक्ष्मी पूजा होगी।''
इस पर मैं ने कहा, '' हम भी तो सपरिवार लक्ष्मी पूजा करेंगे, ऐसे समय पर कैसे आ सकेंगे?''
''
अजी, आपका लक्ष्मी पूजन तो पांच मिनट का काम है। आप तो मिट्टी के लक्ष्मी गणेश लाकर खील बताशे चढा कर पूजा पाठ कर लेते हैं। हमारे यहां तो भव्य पूजा होती है, आपने कहीं न देखी हो जैसी।''
''
वह कैसे? पूजा तो पूजा है।''
''
अब आप को कैसे बताऊं आप साडे आठ बजे घर आ जाएं। मैं ने सेक्टर चार के सारे परिवारों को आमंत्रित किया है। देखना सब देखते रह जाएंगे हमारे यहां की पूजा, कहेंगे वाह! यह होती है वास्तविक लक्ष्मी पूजा! लक्ष्मी जी ऐसी भव्य पूजा से ही प्रसन्न होती हैं। आप लोग पूजा क्या टोटका सा कर देते हो। आप जरूर आना मैडम।''

जैसे माधवी अपनी चमक दमक बिखेरती आई थी वैसे ही चली भी गई

सायंकाल साडे आठ बजे हमने सपरिवार लक्ष्मी पूजा सम्पन्न कीबच्चे और पतिदेव बाहर आस पास की सज्जा तथा प्रकाशमाला देखने चले गयेमैं बैठी बैठी माधवी की भव्य पूजा के बारे में सोचती रही कि सच ही हमने तो मिट्टी के लक्ष्मी गणेश की मूर्ति पर मंत्रों के साथ खील बताशे, लड्डू चढा कर टोटका सा ही कर दिया है। पडोसन माधवी के घर हो रही होगी वास्तविकता में भव्य लक्ष्मी पूजामन नहीं माना तो उतसुकता में पैरों में चप्पल डाल कर माधवी के घर की ओर मैं अकेले ही चल पडी मेरे पति और बच्चों को माधवी जैसी शेखी बघारने वाली महिला की लक्ष्मी पूजा में कोई रुचि पहले से ही नहीं थी

उसके दरवाजे पर ही आठ दस पुरुष तथा महिलाएं खडे थे जो लक्ष्मी पूजन देखने आए थे और प्रशंसा करते हुए कह रहे थे कि सच में बडी भव्य पूजा की तैयारियां हैंमैं ने भी माधवी के घर में प्रवेश किया पूजा की तैयारियां पूरी हो चुकी थींउसने उत्साह पूर्वक मेरा स्वागत किया, और पूजा के कमरे में ले गई वहाँ सारा कमरा रेशमी साडियों की सजावट से सजा थाकमरे के बीचों बीच लक्ष्मी-गणेश की भव्य चांदी की काफी बडे कार कीमूर्तियां चांदी के पाटले पर प्रतिष्ठापित थींपरिवार की महिलाओं के समस्त आभूषण लक्ष्मी जी की मूर्ति पर चढाए गये थेघर का सारा कैश गणेश जी के आगे लाल कपडे पर रखा थाइसके अतिरिक्त चांदी की थालियों में 11 प्रकार के फल, 11 प्रकार की मिठाईयां, 11 प्रकार के मेवा सुसज्जित थीं16 चांदी के घी के दीपक जल रहे थेमैं भी प्रभावित हुए बिना न रह सकी

'' बहुत भव्य! बहुत अच्छा लग रहा है। सभी को ऐसे ही पूजा करनी चाहिये।''
''
हां मैडम, हमारे परिवार की तो यही परम्परा है। हमारे जैसी पूजा कोई क्या करेगा। ये मूर्तियां पूजा की सामग्री, थाली वगैरह की चांदी का ही मूल्य 3 - 4 लाख का होगा। हमारे तो पूर्वजों की धरोहर है। वरना मास्टर जी के वेतन से क्या होता है, वह तो घर खर्च में ही खत्म हो जाता है, क्योंकि हमारा तो खान पान, रहन सहन भी यहां सबसे अच्छा है।''
''
हां'' अब उसके शब्द सुन कर मुझसे रुका नहीं गया और मैं चल दी, चलते चलते सबको''शुभ दीपावली'' कहा। माधवी ने भी उत्तर में चहक कर ''शुभ दीपावली'' कहा।

घर आकर बच्चों के साथ फुलझडी, चकरी, अनार आदि पटाखों का आनन्द लियाखाना खाया, कुछ देर गपशप की और सोने से पहले रात भर जलने वाले लक्ष्मी जी के दीपक को घी से भरा और हम सोने चले गयेदिन भर के उत्साह और काम से उपजी थकान के कारण जल्दी ही नींद आ गईअर्धरात्रि में मुझे पडाैसियों का कोलाहल सुनाई दिया मैं ने सोचा अभी तक दीपावली का उमंग और उल्लास पडाैस में छाया हुआ हैकिन्तु माधवी के तीव्र क्रन्दन ने मुझे चौंका दिया

'' हाय ये क्या हो गया। हम तो लुट गये बहन जी। हमारा तो सब कुछ चला गया। हम कहीं के न रहे।''

मैं ने दरवाजा खोल कर देखा कि तो बाहर 20 - 25 पुरुष-महिलाएं खडे अपनी अपनी सलाह दे रहे थेकोई पुलिस में एफ आई आर लिखवाने की कह रहा था, कोई घर घर जाकर तलाशी लेने की बात कह रहा थाओह! तो माधवी के घर चोरी हुई है, सब चला गया जो कुछ पूजा के कमरे में रखा था!

महिलाएं खडी ख़डी लोचना प्रत्यालोचना कर रहीं थीं कि इतना दिखावा कर रही थी अब भुगतेआज का वक्त ऐसा कहां रह गया है कि ऐसे जोर शोर से पूजा की जाएएक सभ्रान्त महिला ने कहा कि -

'' पुराणों की मान्यता है कि जो व्यक्ति घर पर आए अतिथी सत्कार में, समाज की भलाई में, गरीबों को दान करने में धन का उपयोग करता है, लक्ष्मी को स्वकेन्द्रित न करके व्यष्टि समष्टि की ओर लक्ष्मी को ले जाता है उसी के पास लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है अन्यथा लक्ष्मी तो चंचला है।''

मुझे उनकी इन बातों ने प्रभावित किया मैं ने उन बुजुर्ग महिला का समर्थन किया और कहा '' सच कहा आपने देवी देवता तो मन की पवित्र भावना और सत्कर्म तथा श्रध्दा से प्रसन्न होते हैंदिखावे से नहीं''

तब तक पुलिस आ चुकी थी तथा पूछताछ आरंभ हो चुकी थी, माधवी का विलाप जारी था

सुधा रानी
 

दीपावली
अपनों के साथ मनाने में ही दीपावली की सार्थकता है - अनुपमा
अब के ऐसी दिवाली आये - आस्था
अलि प्रिय अब तक न आए - सुधा रानी
ओ चंचला लक्ष्मी - सुधा रानी
इस बार दीपावली कुछ अलग तरह मनाएं - मनीषा कुलश्रेष्ठ
एक दीपावली पापा के बिना - अंशु
एक नन्हीं बच्ची की दीपावली - अवनि कुलश्रेष्ठ
कर भला होगा भला - सुषमा मुनीन्द्र
गायें गीत बालदिवस के - कनुप्रिया कुलश्रेष्ठ
तुम्हारी बातें दीपक कतार सी - नीलम जैन
दिवाली का दिन - सुमन कुमार घेई
दिवाली का पर्व - राजेन्द्र कृष्ण
दिवाली दिवाली - संगीता गोयल
दिवाली स्तुति - सुमन कुमार घेई
दीपावली - राज जैन
दीपावली 2001 - राजेन्द्र कृष्ण
दीपावली और बालदिवस - अंशुल सिन्हा
पंचमहोत्सव का मुख्य पर्व - दीपावली - अचरज
यही तो है दीपावली - आयूषी श्रीवास्तव
लक्ष्मी पूजा - सुधा रानी
सुबह का भूला - मनीषा कुलश्रेष्ठ


 

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