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मन एक आईना
बहुत
उलझाती है‚ ये उम्र। गुलाबों‚ चॉकलेट्स और गीतों की ही होती ये उम्र तो चिन्ता क्या
थी? ये उम्र है‚ भविष्य के उस पार चमकती ज़िन्दगी की झील तक पहुँचने के लिये पहाड़ों
को लांघने की। बहुत सारी पढ़ाई और मेहनत की। आखिर सारे जीवन की बुनियाद भी तो है ये
उम्र‚ उस पर दिक्कत यह कि हज़ारों–हज़ार खुलते रास्ते और भटकाने को मृगमरीचिकाएं‚ कई
कई आकर्षण। बहुत कठिन है समझ पाना कि सही क्या है और गलत क्या है। |
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