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  बैले

आपने बैले नृत्य टी वी पर या विदेशी फिल्मों में ज़रूर देखा होगा‚ और इस सुन्दर नृत्य ने आपका मन भी खूब लुभाया होगा। महज अपने पैरों के पंजों पर संतुलन बना कर सुन्दर भाव–भंगिमाओं के साथ नर्तक–नर्तकियाँ ऐसे नृत्य करते हैं जैसे वे मानव न होकर रबर की चलती–फिरती गुड़ियाएं हों।
बैले का जन्म कला और साहित्य के पुर्नजागरण के समय इटली में हुआ। यह दरबारों में मनोरंजन स्वरूप प्रस्तुत किया जाता था‚ तब के बैले में संगीत‚ अभिनय‚ कविता और नृत्य आदि कलाओं के साथ साथ चित्रकला को भी प्रस्तुत किया जाता था। किन्तु सत्रहवीं शताब्दी तक यह समूचे यूरोप में लोकप्रिय हो गया था। उस काल से इस काल तक बैले में कई नए परिवर्तन आए‚ नए प्रयोग हुए तब जाकर आज का हमारा लोकप्रिय बैले का वर्तमान स्वरूप सामने आया। विश्व प्रसिद्ध बैले की खास बात है कि इसे सीखने के लिये बचपन से ही अभ्यास आरंभ करना होता है जबकि आपका शरीर अत्यधिक लचीला होता है।
अधिकतर बैले किसी भी कथा या कहानी पर आधारित होते हैं। जिसे वे नृत्य–दृश्यों‚ संगीत‚ वेशभूषा के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं। बैले में विभिन्न प्रकार की शारीरिक मुद्राओं‚ गतियों तथा हाव–भावों का प्रयोग होता है। कथात्मक बैले में कई नर्तक–नर्तकियाँ मिलकर प्रस्तुति देते हैं‚ संगीत पर आधारित बैले में एक नर्तक या नर्तकी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं।
विश्व के प्रसिद्ध बैले र्हैं ' द स्लीपिंग ब्यूटी' स्वान लेक 'जी सेल' और कोपेलिया।
बैले शारीरिक हाव–भाव की निश्चित मुद्राओं तथा कई प्रकार के स्टेप्स और मूवमेन्ट्स पर निर्भर करता है। बैले में प्रत्येक कलाकार के भूमिका अनुसार परिधान होते हैं। साथ ही इनके जूते विशेष प्रकार के कोमल रेशमी कपड़े से बने होते हैं। अन्य कलाओं की तरह ही बैले के कलाकारों ने अपनी अपनी शैलियाँ विकसित की हैं। बैले की प्रस्तुति पाँच अलग–अलग स्टैप्स पर निर्भर करती है। जैसे पैर आगे की ओर फैलाना‚ ऐसे वे दर्शकों के सामने प्रस्तुत होते हैं और पंजो के बल घूम कर अभिवादन की मुद्रा में स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं।
बैले की कुछ डांस टम्र्स इस प्रकार हैं –
जेटी – एक पैर से दूसरे पैर पर कूदना। ज्यादा बड़ी कूद को ग्राण्ड जेटी कहते हैं।
बेलन – हवा में कूद कर ठहर जाने वाली मुद्र को बेलन कहते हैं।
टू–टू – प्रमुख नर्तकियां जिन्हें बैलेरिना कहते हैं‚ वे एक खास किस्म का लेस और फ्रिल वाला नाज़ुक सा स्कर्ट इस्तेमाल करती हैं‚ उसे टू–टू कहते हैं।
डांस सियोर – पुरूष नर्तक जो सामूहिक रूप से एक सी नृत्यप्रस्तुति करते हैं।
पिरोट – कलाकार का पैर के पंजे के बल घूमना।
बैले के विकास में कई कलाकारों‚ संगीतकारों तथा लेखकों का योगदान रहता है। आज तक के प्रसिद्ध बैले के कलाकार र्हैंफैनी एल्सर‚ मेरीयस पेटीपा‚ एस्टन फ्रेडरिक‚ नतालिया माकारोवा और मिखाइल नेरेशनिको आदि।
बैले कोई आसान नृत्य नहीं बच्चों यह एक साधना है। इसमें पारंगत होने के लिये 78 वर्ष की उम्र से ही प्रशिक्षण आरंभ हो जाता है। न्यूयार्क सिटीज़ स्कूल ऑफ अमेरिकन बैले और सेंट पीटर्सबर्ग मिरोव बैले स्कूल आदि विशेष बैले के केन्द्र हैं।

– अचरज
 

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