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लिलि के दो फूल
आज सुबह से सब कुछ गलत हुआ है
उठते ही छींक उठी थी
गर्म चाय का प्याला
होंठों को जला गया था
वापस रखने की हड़बड़ी में
हाथ से छूट गया
सब्जी काटते वक्त
अंगुलियों के ज़ख्म
गर्म तवे के छू जाने से
फिर हरे हो गए
और नहाते वक्त
नल बन्द हो गया और
साबुन के झाग अनधुले रह गए
सारी घटनाएं बेमानी लगीं
जब गमले में दो प्यारे–प्यारे
छोटे–छोटे लिली के फूलों को खिले देखा
कुछ तो अच्छा घटा
लगता है आज फिर तुम
इधर आओगे.

– अचरज

 

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