मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!



 

 

 

प्रेम के बाद 
सब कुछ वही रहेगा
घर – आंगन – बगिया
पेड़ – पौधे – मौसम
फिर जाने किस वक्त
हरीतिमा चली आयेगी
अन्दर आंगन में
पंखे के ऊपर
चिड़िया बनायेगी घोंसला
और हम देखेंगे
उसे बरजे बगैर
फिर किसी बरसात में
हम चलायेंगे सपनों की नावें
और डूब जाने पर
उदास नहीं होंगे
हम बैठे रहेंगे तमाम वक्त
उसी वृक्ष के नीचे
सदियों तुम्हारी प्रतीक्षा में
हम लड़ते रहेंगे
जीवन की क्षुद्र लड़ाइयां
खून और पसीने से लथपथ
बगैर थके या हारे
और शाम को
जोर जोर से पढ़ेंगे
प्रेम कविता
सिरहाने रखी !

 

 



   
 
        

 

अंत की ओर 
ऐसे कैसे चली जाऊंगी
अपने अंत की ओर
खाली हाथ
ले जाऊंगी
तन की मिट्टी में
खुदा तुम्हारा नाम
ले जाऊंगी गंध ज़रा सी
लिपटी होगी जो हवाओं में
ले जाऊंगी झर चुके फूल की
पथराई कामना
ले जाऊंगी हरी घास की नोक पर टिकी
एक जल की बूंद
आंखों से अपनी
ले जाऊंगी उतना आकाश
उतनी धरती
रस बस चुकी थी देह में जितनी
ले जाऊंगी अंत की ओर प्रेम
ज़रा सी प्रार्थना
और नक्षत्रों में से
आवाज़ दूंगी
तुम्हारे मौन में …

-जया जादवानी
 


 

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com