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चौथा पहर
रात का यह चौथा पहर
रात का यह चौथा पहर,
रात का यह चौथा पहर,
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चाँदनी रात
आज चाँदनी रात है ,
इस वक्त न तुम्हारी और न मेरी ज़ात है।
हम दोनों गैरहाज़िर , जज़्वातों
का झंझावात है, लेकिन फिर
भी क्या बात है।
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