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प्रेम एक उत्कृष्ट अनुभूति है‚ और अभिव्यक्त की जाए तो एक सुन्दर कविता। प्रेम उम्र तो नहीं देखता, मगर उम्र के हर पड़ाव पर इसका स्वरूप बदलता जाता है। या यह कहें कि उम्र के साथ–साथ प्रेम भी परिपक्व होता जाता है। प्रेम की उम्र के चार पड़ावों पर ये चार लघु कविताएं वेलेन्टाईन डे पर –
प्रेम की उम्र के चार पड़ाव

 

आज अगर तुम,
सपनों में उतरे तो‚
हम नींद की नदी पार कर
सपनों के जंगल में भाग जाएंगे!!
 

यह शरद की रात‚
चमकीली और खामोश
नदी तट की चट्टानों की छाँह में तुम मेरे पास हो
पलक झुकाए मैं सपने पिरोती हूँ।
न जाने कौनसी अनहोनी बात होनी है‚
जिसके लिए मेरा हृदय बुरी तरह धड़क रहा है
संभव है इस पल अगर कोई सितारा भी टूटे
तो शायद मैं‚पागलों की तरह‚ आँचल फैलाए
उसी के पीछे दौड़ जाऊँ
अपने सपनों की माला में गूँथने के लिए।

 

 

 

 


हमने अशान्त‚
बादलों भरे आकाश को
अर्पित किये हैं
हमेशा‚
दो सारसों की तरह
खेतों में उतरते‚
अनुरंजनी नृत्य करते‚
परस्पर अनुरक्त
अपने निश्छल जुड़वाँ मन।

और अन्त में‚
मुझे अहसास हो गया कि यही है
तुम्हारे लिए मेरा प्यार
मैं इसे साकार देख पा रही हूँ।
समुद्र सा सम्पूर्ण और विराट।
तुम एक पुकार हो और मैं एक उत्तर
तुम एक आकांक्षा और मैं उसकी सम्पूर्ति
अब हम क्षितिज हैं।
शेष क्या रहा?

 

 

 

 – मनीषा कुलश्रेष्ठ

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