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हर
बार |
नेह कमल
निर्झर सा निश्छल अथाह प्रेम फिर भी प्रश्नसूचक चिन्ह यह कैसे संभव है ? मेरी अथक आराधना के बाद भी अंतस से उभरते इस प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं मेरे आराध्य तुम ही कोई उपाय बताओ कि प्रसन्न कर सकूं अपने आराध्य को कि समर्पित करूं निर्मल प्रेम का ओस से भीगा एक नेह–कमल |
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