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दीपावली
अपनों के साथ मनाने में ही दीपावली की सार्थकता है - अनुपमा
अब के ऐसी दिवाली आये - आस्था
अलि प्रिय अब तक न आए - सुधा रानी
ओ चंचला लक्ष्मी - सुधा रानी
इस बार दीपावली कुछ अलग तरह मनाएं - मनीषा कुलश्रेष्ठ
एक दीपावली पापा के बिना - अंशु
एक नन्हीं बच्ची की दीपावली - अवनि कुलश्रेष्ठ
कर भला होगा भला - सुषमा मुनीन्द्र
गायें गीत बालदिवस के - कनुप्रिया कुलश्रेष्ठ
तुम्हारी बातें दीपक कतार सी - नीलम जैन
दिवाली का दिन - सुमन कुमार घेई
दिवाली का पर्व - राजेन्द्र कृष्ण
दिवाली दिवाली - संगीता गोयल
दिवाली स्तुति - सुमन कुमार घेई
दीपावली - राज जैन
दीपावली 2001 - राजेन्द्र कृष्ण
दीपावली और बालदिवस - अंशुल सिन्हा
पंचमहोत्सव का मुख्य पर्व - दीपावली - अचरज
यही तो है दीपावली - आयूषी श्रीवास्तव
लक्ष्मी पूजा - सुधा रानी
सुबह का भूला - मनीषा कुलश्रेष्ठ

 

इस बार दीपावली
कुछ अलग तरह मनाएं

आओ इस बार दीपावाली मनाएं
उनके लिये
जिनके लिये
इस वर्ष दीपावली होगी
मात्र
तिमिर में डूबी रात
उन सैंकड़ों घरों के लिये
जो भूकम्प में
ढहे थे
इंट गारे के मकान की तरह नहीं
बिखर गये थे चहल पहल से भरे
अपनत्व में डूबे घरों की तरह
बुझ गये थे परिवारों के चिराग
रोशनी से दमकते चेहरे।
इस बार दीपावली मनायें उनके लिये
कराहती होगी दर्द से आत्माएं जिनकी
आतंक के सायों ने लील ली हैं
सामान्य चलती फिरती ज़िन्दगी तक जिनसे
उठा ले चलें एक एक दिया
सैंकडों दियों की कतारों से
और सजा आएं उन सूनी देहरियों को
इस उम्मीद में कि लौट आए
सुकून से भरी जिन्दगी उनमें
चलो
उपहारों से भरे दामनों को ले
चलें उन भूखे सूनी आंखों वाले
बच्चों की बस्ती में
जिन्हें प्रतीक्षा है काम से लौटी मां की
और नशे में कहीं पड़े पिता की
बांट दें ये उपहार‚ पटाखे‚ मिठाईयां उनमें
कि अब और स्वार्थ में आंख मूंद
दीपावली मनाने का मन नहीं करता
अब समय है
' तमसो मा ज्योर्तिगमय' के सही अर्थ जानने का
कि सच में अंधेरे कोनों को प्रकाशित करें
प्रकाशित आंगनों में तो पहले ही
उजास की कमी नहीं
आओ पटाखों के धुंए से अवरूद्ध हवा को
सरसों के तेल के दिये से शुद्ध करें।
उन पेड़ों की कतारों को रोशनी से सजाएं
मानव की मनमानी के बाद भी
नि:स्वार्थ प्राणवायु देते हैं जो
चलो
इस बार दीपावली
कुछ अलग तरह से मनाएं!

– मनीषा कुलश्रेष्ठ

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