हम और बच्चे
हम
लड़ते हैं
और
हमारी लड़ाइयों के दौरान
बच्चे पलते हैं
बच्चे बड़े होते हैं
भीतर से कहीं
मरते भी हैं
फिर भी बच्चे
अपना जीवन जीते हैं
मां-बाप की
खुशियां और गम
साथ-साथ
पीते हैं ।
...
हम
बचा लेना चाहते हैं
अपनी सन्तान को

हमारी सन्तान
कितना गलत कर रही है
इस बात से
हमारा कोई नाता नहीं
हमारी सन्तान
क्या भोग रही है
इससे हमें
कुछ लेना-देना नहीं
हमारी सन्तान का
क्या होगा
इससे भी हमें
कोई सरोकार नहीं
बस
हम बचा लेना चाहते हैं
अपनी सन्तान को
केवल
अपने भविष्य के लिये।
...
बेटे को देखकर
मैं भूल जाती थी
कि मैं तुमसे
नफरत करती हूं
बेटे को देखकर
मैं भूल जाती थी
कि हमारे घर से
स्वार्थी रिश्तों की
सड़ांध आ रही है
लेकिन बेटा भी
अब मुस्करा रहा है
म्ंोरे सीने पर
अपने
खून के दांत
गड़ा रहा है। ...

विकेश निझावन
 




 

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