लहरों मे
लडता- भिडता- चिल्लाता
तोडता और फेंकता ,
नन्हा सा पुतला
शक्ति- स्फूर्ति- चैतन्य का ।
घूमती फिरकी सा,
इतनी तेज
कि जैसे दिखे ही ना
इतनी तेज !
घुर्र घुर्र घूमता,
भागता दौडता,
फिर अचानक मेरी गोदी में आता
ठहरता पल भर को
ममता भरे सुरक्षित पहरों में;
भाग जाता फिर
अनंत से संसार की आवाज देती लहरों में।


-गरिमा गुप्ता


 

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