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मनीषा कुलश्रेष्ठ
जन्म : 26 अगस्त 1967,
जोधपुर
शिक्षा
: बी.एससी., एम. ए. (हिन्दी साहित्य), एम. फिल., विशारद ( कथक)
प्रकाशित कृतियाँ –
कहानी संग्रह - कठपुतलियाँ,
कुछ भी तो रूमानी नहीं,
बौनी होती परछांई,
केयर ऑफ
स्वात घाटी,
गंधर्वगाथा,
अनामा
उपन्यास- शिगाफ़
शालभंजिका
पंचकन्या
अनुवाद– माया एँजलू की आत्मकथा ‘ वाय केज्ड बर्ड सिंग’ के अंश, लातिन अमरीकी
लेखक मामाडे के उपन्यास ‘हाउस मेड ऑफ डॉन’ के अंश, बोर्हेस की कहानियों का
अनुवाद
पुरस्कार, सम्मान और फैलोशिप :
कृष्ण बलदेव वैद फैलोशिप – 2007
रांगेय राघव पुरस्कार वर्ष 2010 ( राजस्थान साहित्य अकादमी)
कृष्ण प्रताप कथा सम्मान 2011
गीतांजलि इण्डो – फ्रेंच लिटरेरी प्राईज़ 2012 ज्यूरीअवार्ड
रज़ा फाउंडेशन फैलोशिप – 2013
अन्य
साऊथ एशियन लैग्वेज इंस्टीट्यूट, हायडलबर्ग (जर्मनी) में उपन्यास ‘शिगाफ़’ का
अंश पाठ व रचना प्रक्रिया पर आलेख प्रस्तुति. (2011)
नौवें विश्व सम्मेलन (2012) जोहांसबर्ग में शिरकत.
संप्रति– स्वतंत्र लेखन और इंटरनेट की पहली हिन्दी वेबपत्रिका ‘हिन्दीनेस्ट’ का
दस वर्षों से संपादन.
ई – पता – manishakuls@gmail.com
Manisha is the Editor of
this website since 2001 She can be contacted at:
manishakuls@gmail.com
कविताएं
अग्निशिखा
अदेही
सम्बंध
अन्तस
यात्रा
अंतिम
सम्बोधन
अंधेरे
में उजाले की किरण
अन्यमनस्कता
अनकण्डीशनल
अपने
ही विरूद्ध
अमलताश
अलौकिक
खेल रंगों का
आबिदा
परवीन को सुनते हुए
आदमियत
का सच्चा किस्सा
आत्मघात
आत्मविस्मृति
ओ
अदेखे
अजाने
सूर्य
ओ
तूलिका
और
फिर
इतना
भी क्या कम है?
इस
पल
इसी
ज़मीन का मौसम
उल्लास
की विलुप्त नदी
उसकी
प्रकृति है मां होना
एक
औरत की पुकार,
यकीन और गुनाह
एक
छोटी सी उड़ान
एक
दिन प्रकृति के संग भी
एक
धागा हताशा का
एक
पोट्रेट
एक
मार्मिक छोर :
एक हार
एकरसता
एकान्त
क्या
आज भी?
क्यों
नहीं जन्मे हम एक शलभ की तरह
कच्चा
आंगन
कठपुतली
जो चिड़िया होना चाहती थी
कल
फिर गांव से गुजरेगी रेल
कोई
एक रंग मेरा भी
कोलाज
कोंपलें
खण्डहर
खत
खुमारियां
खैरियत
खोई
हुई आग की तलाश
गुजरना
उस हरे-भरे मोड़ से
छलावा
छवि
जीवन
के
समानान्तर
जीवन
ज़िद
जोगिया
पल
तुम्हारा
और मेरा बसन्त
दो
छोटी रूमानी कविताएं
तिलिस्म
तुम
लौट आओ तो लौट आएं
रौनकें
तोता
दंश
नदी
नववर्ष
नये
साल की पहली किरण
पतझड़
पतझड़
और अलगाव
पलाश
के जंगल
पारदर्शी
प्रकृति
अपनी-अपनी
प्रिज्म
पीले
पत्तों का सैलाब
प्रेम
प्रेम
की उम्र के चार पड़ाव
प्रेम
बनाम प्रकृति
बिखरे
पुष्प की गंध
भविष्य
आंकते-आंकते...
मरूस्थल
माया
मानसून
मात्र
एक उत्सव
मिट्टी
के दिये
मैं
उसका कमरा
मोनालिसा
की तस्वीर!
यूं
तुम हो ...
योगमाया
रोक
लो प्रेम को तिकोना होने से
रूमानियत
वक्त
के उस मुहाने पर
शक
के गिरगिट
शब्दों
का खेल
शब्द
ये
शब्द
स्वतन्त्रता
का ढीठ स्वप्न
सच
कहना ...
सपनीली
फर्न की फन्तासी में
स्मृति
कोष
सम्भोग
सम
पर आकर टूटती
लय
समय
के साथ
सादा
दिल औरत के जटिल
सपने
साधना
कक्ष
सिमोन
की डांट
सुनहरी
फर्न
हर
बार
हरे
भरे मन की थाह
हाइकू
- एक जीवन्त कविता शैली
हेमन्त
की धूप
होली
के बदलते रंग
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कहानियाँ
अधूरी
तस्वीरें
अंतरंग
आंखों
में किरकिराते रिश्ते
उल्का
एक
ढोलो दूजी मरवण ...तीजो कसूमल रंग
एक
नदी ठिठकी सी
एक
लिजलिजा एहसास
एक
सांवली सी परछाई
क्या
यही है वैराग्य?
( कथाक्रम द्वारा
पुरस्कृत)
कड़ी
दर कड़ी
कन्या
ही दहेज है
कठपुतलियां
कालिन्दी
कुछ
भी तो रूमानी नहीं
कुरजां
केयर ऑफ
स्वात घाटी
खेद
का एक रेशा
गंधर्व
– गाथा
नई
संभावनाओं का आकाश
पल्लव
परिभ्रान्ति
पीढियों
का अन्तराल
प्रेतकामना
बिगड़ैल
बच्चे
बौनी
होती परछांई
प्रश्न
का पेड
भगोड़ा
भाग्यलक्ष्मी
मास्टरनी
मि. वॉलरस
ये
कुछ लोग! कुछ सम्बन्ध!
रक्स
की घाटी और शबे फितना
रंग
- रूप
- रस
- गंध
लापता पीली
तितली
लेट
अस ग्रो टुगेदर
लाल
डायरी
वीरांगना
शाश्वती
सुबह
का
भूला
सपने
का सच (
वागर्थ अप्रेल -
२००४ अंक में प्रकाशित)
स्वांग
साक्षात्कार
मेरा
साहित्य संसार के अनुराग से उपजता है -
अशोक वाजपेयी से मनीषा कुलश्रेष्ठ की बातचीत
संपादकीय तथा लेख
यादें
वो डायरियां हैं
अमूर्त में
मूर्त ऐन्द्रिकता का संगीत : अशोक वाजपेयी की
कविताएँ
आओ
पेपे घर चलें
प्रभा
खेतान का उत्कृष्ट उपन्यास
अगर
आप नौकरीशुदा महिला हैं तो...
अपने
क्रोध को समझें
- अनुवादित
अभिव्यक्ति
अब
कोई विकल्प शेष नहीं
अब्दुर्रहीम
ख़ानखाना
अमूर्त
में मूर्त ऐन्द्रिकता का संगीत : अशोक वाजपेयी
अमीर
खुसरो -
जीवनकथा और कविताएं
अहिंसा
के अग्रदूत : महात्मा गांधी
आधे-अधूरे
: मोहन राकेश
आबिदा
परवीन
-
सूफीयाना गायिकी में एक बेजोड़ नाम
आस्था
पर एक और हमला
इमराना
प्रकरण स्त्री की अस्मिता पर एक और प्रश्नचिन्ह
इराक
युद्ध
इस्मत
आपा की कहानियाँ और भारतीय मुस्लिम
समाज
इस्लामिक
आतंकवाद
ईव
टीजिंग
एक
और गणतन्त्र दिवस
एक
विद्रोही स्वरः तसलीमा नसरीन की कविताएं
क्या
नाकामयाब ही होना था शिखर वार्ता को?
कबीर
थ एक समाजसुधारक कवि
कभी
खुशी कभी गम
कला
हमारे आँगन की धरोहर
कामकाजी
महिलाएं बनाम गृहणियां
कारगिल
विजय
दिवस...
कलात्मक
आध्यात्म की पराकाष्ठा : अचम्भे का रोना
कालजयी
कथाशिल्पी प्रेमचन्द की स्मृति में
कश्मीर
की औरतें
कही
ईसुरी फाग :
प्रेम का एक मुक्त छन्द
खरगोश
: विरोधाभासों के
संधिस्थल पर टिकी प्रियंवद की
कहानियां
गला
घोंटू लोकतन्त्र
घटनाएं
चरित्र
इस देश का
छिन्नमस्ता
:
औरत होने का सच
जन्म
से पूर्व
ही...
- अनुवादित
जल
- संकट
: विकटता की ओर
त्यौहारों
का मौसम
थके
हुए पंख
दो
बेटियां -
एक सुखद अनुभव
'डार
से बिछुड़ी'
कृष्णा सोबती का उपन्यास
नटनागर
कृष्ण
नया
वर्ष
नवरस
और उत्तरभारतीय नृत्य थ कथक
नानक
बाणी
नारी
सशक्तिकरण वर्ष
नृत्य
अंगों और भावों की भाषा है
पति
पत्नी के बीच सम्वादहीनता की स्थिति
परम
में उपस्थित वह अनुपस्थित
परम प्रेम’
का तिलिस्मी शीशा : आन्ना कारेनिना
प्रेम,
प्रतिबद्धता, निष्ठा...समर्पण...
प्रेमी
की प्रीत या कृपण की आसक्ति
बसन्त
बहस
जारी
है
, बलात्कार
बनाम मृत्युदण्ड
बहुरूपिया
बाल
फिल्मों की कमी
बाहर भीतर सबद
निरंतर
बॉलीवुड
और अण्डरवर्ल्ड के सम्बध
भक्तिकालीन
काव्य में होली
भ्रमर
गीत - सूरदास
भारत
में खान पान की बदलती आदतें
भारतीय
मध्यम वर्ग
भारतीय
शिक्षा पद्धति
भारतीय
स्त्री और समाज
भारतीय
समाज के सन्दर्भ
में
भारतीय
सरकारी तन्त्र और व्यंग्य
भूकम्प
की विभिषिका
महेन्द्र
रंगा की
'
प्रेम कविताएं
'
मातृत्व
मानसून
मिसाइलमैन
: अब्दुल कलाम
मृदुला
गर्ग का उपन्यास -
चितकोबरा
मीडीया
और भारतीय स्त्री
मीरां
का भक्ति विभोर काव्य
मुर्दों
का टीला - मोअन जो दड़ो
मेरी
प्रिय कहानियाँ , निर्मल
वर्मा
मेवाती
स्त्री के भीतर से उठा आर्तनादःबाबल तेरा देस
में
मैं
कैसे निकसूं मोहन खेलै फाग
फाग
यात्रा
वृत्तान्त - दक्षिण भारत की कुछ स्मृतियाँ
यौन
उत्पीड़न
यौन
शोषण
रसखान
के कृष्ण
रीतिकालीन
कवि बिहारी सतसंई में श्रृंगार भावना
''रूप''
की स्त्र्बाईयाँ
लगान
- हिन्दी सिनेमा में भारतीयता की एक नई लहर
लहरों
के राजहंस थ दो विपरीत मूल्यों का द्वन्द
लड़की
होना
लिखते
लिखते
लोकतन्त्र
और संविधान
लोकतन्त्र
बनाम पाकिस्तान
लौटना
रंगों के मौसम का
विलक्षण
काव्य प्रतिभा -
अटल बिहारी बाजपेयी
विवाह
से पूर्व शारीरिक सम्बंध
सहअस्तित्व
स्त्री
उपेक्षिता की भूमिका के अंश महिला दिवस के सन्दर्भ
में
स्त्री
शक्ति
सल्लेखनाःमोक्ष
प्राप्ति की एक तपस्या
सार
सार को गहि लिये थोथा देय
उड़ाय
सायबर फातिमा या ज़ुलैखाः चुनाव हिज़ाब के पीछे के
विरोधाभासों का
सीमित
युद्ध और भारत के लक्ष्य
सुख
- अनुवादित
सूर
और वात्सल्य रस
सौन्दर्य
प्रतियोगिताएं
सृजन
हिन्दीनेस्ट
डॉट कॉम बनाम स्त्रीवादिता
हिन्दी
में यूनिवर्सल फोन्ट …
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