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बदलता परिवेश और परिधान
बदलते सांस्कृतिक
परिवेश ने आज युवा पीढी क़ो अत्यधिक
प्रभावित किया है।
आज युवाओं की मानसिकता बदल रही है, उनके पहनावे में खासा बदलाव आया है।
इसी बदलाव को जानने के लिये पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ
कालेजों का दौरा करने और कुछ छात्राओं से बात करने पर ज्ञात हुआ कि आज की
छात्राएं किसी एक परिवेश में न बंधकर इच्छानुसार परिधान धारण करना चाहती
हैं क्योंकि आज के परिधान स्टेटस सिंबल के साथ ही युवाओं की आवश्यकताओं के
पर्याय बन गए हैं।
दिल्ली के मोतीलाल कॉलेज में वर्षा जैसे ही प्रवेश करती र्है सभी लडके
लडक़ियों की
निगाहें उसी तरफ घूम जाती हैं।
सहज और साधारण सी दिखने वाली वर्षा में ऐसा क्या है जिसे देख अन्य लोग
आकर्षित होतै हैं।
अन्य
लडकियां
उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कई बार उसे हिरोईन की उपाधि
भी दे देती हैं।
आज के समय में हर कोई बस अच्छा दिखना चाहता है।
पढाई की बोरियत से बचने के लिये विद्यार्थी मौर्जमस्ती करते दिखाई देते हैं।
खासकर
लडकियां
कॉलेज में लेटेस्ट
कपडों
और फेशन को फॉलो करती नजर आती हैं, वे अपने हमउम्र युवाओं के
साथ घूमना फिरना चाहती हैं।
देश के महानगरों में स्थित कई कॉलेजों लडक़ी के इस बहुत खुले रूप को स्वीकार
लिया गया है, या कभी मिश्रित मानसिकता भी दिखाई देती है।
हर बदलाव का असर सबसे पहले मुंबई, दिल्ली , कोलकाता और चैन्नई जैसे
महानगरों में दिखाई पडता है।
किन्तु अब फिल्मों, टीवी के जरिये फैशन की लहर छोटे शहरों , कस्बों में भी
जल्द ही
पहुंच
जाती है।
दिल्ली के कॉलेज मोटे तौर पर नॉर्थ व साउथ कैम्पस में विभाजित हैं।
इन दोनों कैम्पस क्षेत्रों के वातावरण में पढर्नेलिखने, बातचीत करने व उनके
पहनावे में स्पष्ट देखा जा सकता है।
साउथ कैम्पस स्थित रामलाल आनन्द कॉलेज की उमा शर्मा कहती र्है नम्बर
वन आने के लिये पढाई के अलावा पहनावा, सही चार्लढाल, सोच में भी अव्वल होना
जरूरी है तभी आपके प्रति दूसरे आकर्षित होंगे।
इसी कॉलेज की दीपा रावत का मानना है कि कपडे पहनने की समझ तो होनी ही
चाहिये।
एक सम्पूर्ण स्त्री को रसोई के काम की जानकारी के सार्थसाथ अन्य बातों पर
भी ध्यान देना चाहिये।
अच्छा फिगर्रकद हो, थोडी शर्मीली, बच्चों से लगाव आदि का होना उसके
व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने में सहायक हो सकता है।
अरबिंदो कॉलेज की सुनयना मानती र्हैं मैं क्या सारी
लडकियां
अपने कॉलेज की रितु से प्रभावित रहती हैं, वह बहुत अच्छी है, अच्छे कपडे,
सुन्दर बाल, उसका फिगर भी अच्छा है।
वह कॉलेज की हर गतिविधि में भाग लेती है।
कॉलेज के बाहर लडक़े भी उसका इंतजार करते हैं।
इसके विपरीत साउथ कैम्पस के वैंकटेश्वर कॉलेज की छात्रा ॠचा का कहना र्है
लडक़ी को अलग व आकर्षक दिखने के लिये लेटेस्ट स्टाइल के कपडे, ख़ास ब्राण्ड
के पर्स, चप्पलें,सैंडल डालने चाहिये।
उसके बात करने का तरीका ऐसा हो जिसमें अन्य लोग दिलचस्पी लें।
खास ब्राण्ड की चीजें उसे बाकि सबसे अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती
हैं।
मैत्रेयी कॉलेज की पूनम और नीलम ने कर्हा '' यह मायने नहीं रखता कि वह पढाई
में तेज है या नहीं,
हां!
लाईम लाईट में रहने के लिये आत्मविश्वास और अन्य
गतिविधियां
भी जरूरी हैं।
ऐसे कपडे न पहनें जिससे बहन जी या
माँजी
जैसे शब्द सुनने पडें।
फ़िर लडक़ी फोर्ड या होंडा सिटी कार से उतरे तो बात ही क्या है!
नम्रता के मुताबिक , आजकल टीवी में आने वाले विज्ञापनों, सौंदर्य
निखार कार्यक्रमों का प्रभाव बहुत है।
सौंन्दर्य विशेषज्ञा शीतल राय कहती र्हैं आज के फिल्म स्टार हमारी नई पीढी
क़े आदर्श हैं।
हर युवा उनके जैसा दिखना चाहता
।
ब्यूती के प्रति सतर्कता, टिप्स लेने की जागरुकता आई है।
लडक़ियों में मॉडल जैसा दिखने या हिरोईन बनने की ललक बढती जा रही है।
सुन्दर चेहरा ही सब कुछ नहीं है।
बदलते सांस्कृतिक
परिवेश ने आज युवा पीढी क़ो अत्यधिक प्रभावित किया है।
आज युवाओं की मानसिकता बदल रही है, उनके पहनावे में खासा बदलाव आया है।
इसी बदलाव को जानने के लिये पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ
कालेजों का दौरा करने और कुछ छात्राओं से बात करने पर ज्ञात हुआ कि आज की
छात्राएं किसी एक परिवेश में न बंधकर इच्छानुसार परिधान धारण करना चाहती
हैं क्योंकि आज के परिधान स्टेटस सिंबल के साथ ही युवाओं की आवश्यकताओं के
पर्याय बन गए हैं।
दिल्ली के मोतीलाल कॉलेज में वर्षा जैसे ही प्रवेश करती र्है सभी लडके
लडक़ियों की
निगाहें उसी तरफ घूम जाती हैं।
सहज और साधारण सी दिखने वाली वर्षा में ऐसा क्या है जिसे देख अन्य लोग
आकर्षित होतै हैं।
अन्य
लडकियां
उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कई बार उसे हिरोईन की उपाधि
भी दे देती हैं।
आज के समय में हर कोई बस अच्छा दिखना चाहता है।
पढाई की बोरियत से बचने के लिये विद्यार्थी मौर्जमस्ती करते दिखाई देते हैं।
खासकर
लडकियां
कॉलेज में लेटेस्ट
कपडों
और फेशन को फॉलो करती नजर आती हैं, वे अपने हमउम्र युवाओं के
साथ घूमना फिरना चाहती हैं।
देश के महानगरों में स्थित कई कॉलेजों लडक़ी के इस बहुत खुले रूप को स्वीकार
लिया गया है, या कभी मिश्रित मानसिकता भी दिखाई देती है।
हर बदलाव का असर सबसे पहले मुंबई, दिल्ली , कोलकाता और चैन्नई जैसे
महानगरों में दिखाई पडता है।
किन्तु अब फिल्मों, टीवी के जरिये फैशन की लहर छोटे शहरों , कस्बों में भी
जल्द ही
पहुंच
जाती है।
दिल्ली के कॉलेज मोटे तौर पर नॉर्थ व साउथ कैम्पस में विभाजित हैं।
इन दोनों कैम्पस क्षेत्रों के वातावरण में पढर्नेलिखने, बातचीत करने व उनके
पहनावे में स्पष्ट देखा जा सकता है।
साउथ कैम्पस स्थित रामलाल आनन्द कॉलेज की उमा शर्मा कहती र्है नम्बर
वन आने के लिये पढाई के अलावा पहनावा, सही चार्लढाल, सोच में भी अव्वल होना
जरूरी है तभी आपके प्रति दूसरे आकर्षित होंगे।
इसी कॉलेज की दीपा रावत का मानना है कि कपडे पहनने की समझ तो होनी ही
चाहिये।
एक सम्पूर्ण स्त्री को रसोई के काम की जानकारी के सार्थसाथ अन्य बातों पर
भी ध्यान देना चाहिये।
अच्छा फिगर्रकद हो, थोडी शर्मीली, बच्चों से लगाव आदि का होना उसके
व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने में सहायक हो सकता है।
अरबिंदो कॉलेज की सुनयना मानती र्हैं मैं क्या सारी
लडकियां
अपने कॉलेज की रितु से प्रभावित रहती हैं, वह बहुत अच्छी है, अच्छे कपडे,
सुन्दर बाल, उसका फिगर भी अच्छा है।
वह कॉलेज की हर गतिविधि में भाग लेती है।
कॉलेज के बाहर लडक़े भी उसका इंतजार करते हैं।
इसके विपरीत साउथ कैम्पस के वैंकटेश्वर कॉलेज की छात्रा ॠचा का कहना र्है
लडक़ी को अलग व आकर्षक दिखने के लिये लेटेस्ट स्टाइल के कपडे, ख़ास ब्राण्ड
के पर्स, चप्पलें,सैंडल डालने चाहिये।
उसके बात करने का तरीका ऐसा हो जिसमें अन्य लोग दिलचस्पी लें।
खास ब्राण्ड की चीजें उसे बाकि सबसे अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती
हैं।
मैत्रेयी कॉलेज की पूनम और नीलम ने कर्हा '' यह मायने नहीं रखता कि वह पढाई
में तेज है या नहीं,
हां!
लाईम लाईट में रहने के लिये आत्मविश्वास और अन्य
गतिविधियां
भी जरूरी हैं।
ऐसे कपडे न पहनें जिससे बहन जी या
माँजी
जैसे शब्द सुनने पडें।
फ़िर लडक़ी फोर्ड या होंडा सिटी कार से उतरे तो बात ही क्या है!
नम्रता के मुताबिक , आजकल टीवी में आने वाले विज्ञापनों, सौंदर्य
निखार कार्यक्रमों का प्रभाव बहुत है।
सौंन्दर्य विशेषज्ञा शीतल राय कहती र्हैं आज के फिल्म स्टार हमारी नई पीढी
क़े आदर्श हैं।
हर युवा उनके जैसा दिखना चाहता
।
ब्यूती के प्रति सतर्कता, टिप्स लेने की जागरुकता आई है।
लडक़ियों में मॉडल जैसा दिखने या हिरोईन बनने की ललक बढती जा रही है।
सुन्दर चेहरा ही सब कुछ नहीं है।
नीरज दुबे
15 अप्रेल,2001
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