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नृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय साधन है भारतीय नृत्य उतने ही विविध हैं जितनी हमारी संस्कृति शास्त्रीय नृत्य तो हैं ही लोक नृत्यों की तो कोई गणना ही नहीं जिस तरह भारत में कोस-कोस पर पानी और वाणी बदलती है वैसे ही नृत्य शैलियाँ भी विविध हैं

नृत्य हमारी संस्कृति का प्राचीन अंग है
उतना ही प्राचीन जितनी हमारी संस्कृति मोहनजोदडों और हडप्पा तक के पुरातात्कि प्रमाण है कि नृत्य भारत की प्राचीनतम संस्कृतियों से जुडा है। मोहनजोदडों की खुदाई में नृत्यमुद्रा में एक नर्तकी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। इसके अतिरिक्त भरत मुनि का नाटय शास्त्र  जो नाटय व नृत्य की दृष्टि से इतना व्यापक है कि प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य में इस शास्त्र की परिभाषाएं आज भी प्रयुक्त होती हैं। नृत्य भारत की बेहद समृध्द और सुन्दर विरासत है। भारतीय नृत्यों में नर्तक के शरीर से ध्वनि निकलती है।

 

कथक के विकास मे... डॉ भगवान दास माणिक
नवरस और उत्तरभारतीय शास्त्रीय नृत्यः कथक - मनीषा कुलश्रेष्ठ
नृत्य अंगों और भावों की सौंदर्यमयी भाषा है - मनीषा कुलश्रेष्ठ
नृत्य देखते हुए - दिविक रमेश की कविता
प्रेरणा श्रीमाली से कथक और वर्तमान परिदृश्य, कथक व कविता पर लिया गया साक्षात्कार - मनीषा कुलश्रेष्ठ
भरतनाटयम - संध्या खुराना
भारतीय नृत्य - श्रीमती मोहिनी माणिक
भाँगडा - राजेन्द्र कृष्ण
मोहिनीअट्टम - सुनन्दा नायर
राजस्थानी लोकनृत्य - आनंद शर्मा
 

 

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