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पत्थर दिल उससे मेरी पहली मुलाकात
स्टाफ बस में हुई थी।
ऑफिस में मेरा
पहला दिन था। शाम
पाँच
बजे ऑफिस छूटने पर पहले
दिन के डर और संकोच के मिले-जुले भाव लिये मैं बस स्टॉप पर आ खडी हुई थी।
अपने नए ऑफिस के
नए स्टाफ के साथ चुपचाप मैं बस में बैठ गई।
मेंरे
सहकर्मियों में युवा पुरूषों की संख्या अच्छी खासी थी।
''
हंगामा है क्यूँ बरपा...'' फिर कानों में वही कशिश भरी आवाज शहद घोलने लगी। '' बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी... '' नाम तो पहले दिन ही उस आवाज़
के मालिक का पता चल गया था किन्तु जब अगले दिन परस्पर परिचय के दौरान उसे
देखा तो एकाएक यकीन नहीं हुआ कि विधाता भी अजीब-अजीब प्रयोग कर बैठता है।
इतनी मधुर आवाज
और
चेहरा पत्थर सा,
न
आँखों
में कोई भाव,
न होंठों पर कोई मुस्कान,
उसपर गहरे काले रंग की स्याही, अनगढे से नक्श।
लम्बी-चौडी क़ाया
उसे और डरावना सा बनाती थी।
कुछ दिनों में
ही हम कुछ सहेलियों ने उसका नामकरण ही पत्थर दिल कर दिया,
हालांकि उसके दिल से हमारा कोई लेना-देना न था,
बस मजाक बनाने के इरादे से।
''
अगर नीता रुकेगी तो हम सब
भी रुकेंगे। हमें देर तक एक लडक़ी को यहाँ अकेला कैसे छोड सकते हैं?
'' पर बस मैं ने
प्रतिवाद किया, ''
बस भी रुकेगी। हम सब साथ ही जाएंगे।
'' वह अड ग़या,
अन्तत: शर्मा जी ने हथियार डाल दिये।
'' अंजलि जी, बहुत से स्वप्न टूटते और अपने आत्मीयों को दूर होते देखा है मैं ने पर जीवन कभी थमता नहीं जो लोग दुखों से ठिठक कर रुक जाते हैं उनके साथ कोई नहीं रुकता, अब आप भी उठिये और फिर से जीवन की डोर थाम लीजिये। राहुल पर गुस्सा मुझे भी आया था दोस्त न होता तो पर जाने दीजिये प्रेम में जबरदस्ती तो नहीं होती ना। '' बदनामी तो बहुत हुई थी
राहुल के साथ हदें पार कर लेने की वजह से पर जब दो व्यक्ति प्रेम में हों
तब उन्हें अन्य लोग दिखाई ही
कहाँ
देते हैं,
उस पर अन्धा विश्वास कि राहुल तो मेरा ही है।
पापा ने मेरी
शादी के प्रयास करना आरंभ कर दिये,
किन्तु कहीं बात नहीं बन पा रही थी
। मैं
ने ऑफिस फिर से जॉइन करने की ठान ली,
इसमें पत्थर दिल की बातों का असर था।
''
यार लकी होते हैं वो जिनका
कोई बेहद अपना होता है। यहाँ तो अपनी जन्मपत्री में एक भी अपना नहीं
लिखा। '' नहीं, वह पत्थर दिल नहीं हो सकता। एक वह जो अपनी प्रेयसी का नाम तक भी अब छूकर मलिन नहीं करना चाहता और राहुल मानवता के रिश्ते से भी कभी मुडक़र देख न सका। पत्थर दिल कौन है सही मायनों में? फिर मैं एक निश्चय और
पत्थर दिल नहीं तन्मय का खयाल मन में ले अरसे बाद सुख की नींद सोई।
'' मैं तुम्हारा पत्थरदिल.... '' - अलका कुलश्रेष्ठ |
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