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मैं सड़क हूं लोग अक्सर मेरे बारे में बातें करते हैं, पूछते हैं कि मैं कैसी हूं, अच्छी हूं या खराब हूं कहॉं जाती हूं, कहॉं से आती हूं कोई कहता है कि मैं यहॉं जाती हूं कोई कहता है कि मैं वहॉं से आती हूं कोई कहता है कि मैं अच्छी हूं तो कोई कहता है कि मैं खराब हूं कोई मुझे लम्बी बताता है, तो कोई छोटी कोई मुझे चौडी बताता है, तो कोई पतली कोई मुझे चिकनी कहता है, तो कोई खुरदरी लेकिन मुझे तो लोग जैसा रखते हैं जैसा संवारते हैं ्र मैं वैसी ही रहती हूं सर्दी गर्मी बरसात में खुले आकाश के नीचे मैं तन्हा पड़ी रहती हूं और लोगों को आते जाते देखा करती हूं उनकी बाते सुनती हूं, उनके दु:ख दर्द सुनती हूं मैं लोगों को मिलाती हूं, दिलों की दूरियां कम करती हूॅं ्र न कहीं जाती हूं, न कहीं आती हूं मैं तो स्थिर हूं , जड़वत हूं मैं सड़क हूं -यू ए़म स़हाय |
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