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पलायन जैसे
वातावरण ने खामेशी की चादर औढ ली इसी
द्वन्द के बीच उलझ कर रह गयी हूँ मैं अपनी
कल्पनाओं में रंग भरने के लिए अब मेरा पलायन......
-शीतल मेहता |
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