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जाल जाल
मछुए ने फेंका,
सलीके से अब.
कोशिशें, आशियाँ, चाँद पर भी बने. रू-ba-रू
बात,
करने से घबराते वो. बात,
बातों से बन जाए, तो बात है. बिक
रहीं, आज कलियां ही
बाजार में.
-श्यामल सुमन |
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