मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
गज़ल मौसम जैसे जब सजता है, दिल अंदर तक खिल उठता है। मेरे चेहरे की पुस्तक को, पढ़-पढ़ के लिखता रहता है। अपना एक पता ये रख लो, मेरे दिल में तू बसता है। दिल का गुलशन महक उठा है, जिस पल तू हंसने लगता है। चिठ्ठी भारी हो जाती है, कागज कोरा जब रखता है।
|
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |