मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
प्रेमराग – मिहाय बॉबीच |
क्या क्षमा करोगी पवन हूं मैं क्या क्षमा करोगी धूल उड़ा दी नील–वर्ण नयनों में तेरे! सूरज हूं मै क्षमा करोगी झुलसा डाले श्वेत वर्ण यह हाथ तुम्हारे! पतझड़ हूं मैं क्षमा करोगी कंधों पर तेरे टूटे पत्ते बिखराए! घास हूं मै क्षमा करोगी गुदगुदा दिए मुझ पर पड़ते पांव तुम्हारे! पानी हूं मैं क्षमा करोगी तर कर डाला तुमको जलते नीर–नयन से! छाया हूं मैं क्षमा करोगी अकस्मात् ढक डाला तेरे सुंदर मुख को!
– यैनो जिदा हमारी उंगलियां – लोरिन्त्स सॉबो |
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |