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स्वाद जीभ पर घुल इस तरह मिल गया धमनियों में वह रहा नहीं फिर भी महकती रही जिन्दगी स्वाद से रास्ता जब बन्द हो गये तमाम रास्ते फूट पड़े आग के झरने चिनगारियों ने अंधेरे को रोशन बनाया तभी
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