मुखपृष्ठ  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | डायरी | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 Home |  Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

You can search the entire site of HindiNest.com and also pages from the Web

Google
 

एक पत्र मां के नाम

प्यारी मां,
लोग कहते थे
, जब तुम
मेरी उम्र की थीं

मेरी तरह दिखती थीं
वही हंसी
, वही मुद्राएं
वही हाव - भाव
वही अल्हडता
मैं गर्व से कहती
आखिर प्रतिफल
हूँ, अपनी मां का
कच्चे आंगन में रोपी हुई

एक बेल चमेली की 

मां, मुझे आना पडा
अपने विस्तार समेट कर
एक पराए - अजनबी आंगन में
जिसके संगेमरमरी फर्श पर

स्वयं को फिर से रोपना

आसान न था

मगर मुझसे जुडा है
,
कस्तूरी - सा महकता
तुम्हारा नाल बंध अब तक
जिसकी महक जोडे रखती है
तुम्हारे कच्चे आंगन से अब तक 

तुम्हें ये जानकर खुशी होगी
इस नाल बंध से आ जुडी है
एक और बेल चमेली की
मैं चाहती
हूँ, अपने नर्म हाथों से
इसे रोप लूँ, जन्म दूं बेटी को
अपने खीजते हैं
देते हैं सलाह गर्भपात की
हंसते हैं पराए
करते हैं बात वंश बेल की 

मगर मां,
कैसे कर दूं उपेक्षित
अपनी नाभि से आती महक
कस्तूरी की
जो मिली है मुझे विरासत में तुमसे 

मैं चाहती हूँ,
तुमसे - मुझतक जुडा
ये नाल बंध, आगे भी
महकता रहे यूं ही

मैं ने तय कर लिया है

मैं इसे जन्म दूंगी
रोपूंगी अपने भी आंगन में
एक बेल चमेली की

-मनीषा कुलश्रेष्

Top

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com